Tuesday 12 November 2013

वाह वाह मेरे आसाराम


सुबह भजन शाम को जाम ...
वाह वाह मेरे आसाराम ।
धर्म संस्कृति हुई बदनाम ...
वाह वाह मेरे आसाराम ।
कथनी करनी में भेद के पोषक !!
बाल-बालाओं के आदि शोषक !!
विकृत मनोवृति के साक्षात द्योतक !!
समाज निर्माण के गति अवरोधक !!
कुकर्मी कषुलित कर दिया नाम...
वाह वाह मेरे आसाराम ।
धर्म का कर दिया काम तमाम...
वाह वाह मेरे आसाराम ।
काम क्रोध मद लोभ के साधक !!
सभ्य सोच के अतुलित बाधक !!
दुष्कर्म चरित्र नवरस मादक !!
संकीर्ण बुद्धि और कुकृत्य व्यापक !!
गलती का भुकतो अंजाम...
वाह वाह मेरे आसाराम ।
बुरे कर्म का बुरा परिणाम ...
वाह वाह मेरे आसाराम ।

-कविराज तरुण

No comments:

Post a Comment