केजरी की लीला
दिल्ली के प्रांगण में केजरी की लीला ...
कमल मुरझा गया पस्त हुई शीला ...
मेट्रो के नाम का बहुत दिया झांसा ...
आम जनता को था बहुत दिन से फांसा ...
गरीबो को इन्होने कही का न छोड़ा ...
उन्नति के रास्ते में प्रलोभन का रोड़ा ...
कॉमन को होती रही वेल्थ की प्रोब्लम ...
कॉमनवेल्थ में दिखा दिया अपना तुमने आचरण ...
नारी की इज्ज़त भी तार तार हो गई ...
तुमको लगा जनता सब देख कर भी सो गई ...
इतने अनशन इतनी भीड़ तुम्हे समझा रहे थे ...
पर सत्ता के मद में तुम बहुत मुस्कुरा रहे थे ...
तभी मतदाता ने किया पेंच सारा ढीला ...
कांग्रेस का हाथ सारा आंसुओ से गीला ...
दिल्ली के प्रांगण में केजरी की लीला ...
कमल मुरझा गया पस्त हुई शीला ...
---कविराज तरुण
दिल्ली के प्रांगण में केजरी की लीला ...
कमल मुरझा गया पस्त हुई शीला ...
मेट्रो के नाम का बहुत दिया झांसा ...
आम जनता को था बहुत दिन से फांसा ...
गरीबो को इन्होने कही का न छोड़ा ...
उन्नति के रास्ते में प्रलोभन का रोड़ा ...
कॉमन को होती रही वेल्थ की प्रोब्लम ...
कॉमनवेल्थ में दिखा दिया अपना तुमने आचरण ...
नारी की इज्ज़त भी तार तार हो गई ...
तुमको लगा जनता सब देख कर भी सो गई ...
इतने अनशन इतनी भीड़ तुम्हे समझा रहे थे ...
पर सत्ता के मद में तुम बहुत मुस्कुरा रहे थे ...
तभी मतदाता ने किया पेंच सारा ढीला ...
कांग्रेस का हाथ सारा आंसुओ से गीला ...
दिल्ली के प्रांगण में केजरी की लीला ...
कमल मुरझा गया पस्त हुई शीला ...
---कविराज तरुण
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