हे मालिक इतना दान दीजिये
इन पशुओं को इंसान कीजिये
सिंह ग़ुफ़ा में बंद पड़ा है
नरभक्षी बाहर घूम रहा है
डर है नही विषदंतो से
नरभुजंग गरल मुख चूम रहा है
इतना बस अहसान कीजिये
पशुओं को इंसान कीजिये
स्वानों का काटा बच जाता है
बाजों से कौन अब घबराता है
काट के खाने को आतुर नर
अब उपाय नजर नही आता है
भिक्षा बस यही भगवान् दीजिये
पशुओं को इंसान कीजिये
✍🏻 कविराज तरुण
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