Tuesday, 24 May 2016

दान याचना

हे मालिक इतना दान दीजिये
इन पशुओं को इंसान कीजिये

सिंह ग़ुफ़ा में बंद पड़ा है
नरभक्षी बाहर घूम रहा है
डर है नही विषदंतो से
नरभुजंग गरल मुख चूम रहा है

इतना बस अहसान कीजिये
पशुओं को इंसान कीजिये

स्वानों का काटा बच जाता है
बाजों से कौन अब घबराता है
काट के खाने को आतुर नर
अब उपाय नजर नही आता है

भिक्षा बस यही भगवान् दीजिये
पशुओं को इंसान कीजिये

✍🏻 कविराज तरुण

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