*शुक्रिया जवान*
इन करों के बंद मुख से शुक्रिया तुझको अदा है ।
माँ भारती तू धन्य है जो वीर ऐसा तुमने जना है ।
बर्फ की चादर मे लिपटा सो गया तूफ़ान मे ।
आँख निगरानी में थी कुछ बात थी उस जान मे ।
कर्मबेदी पर चढ़ा के जान की वो बोलियाँ ।
दिवाली तीज होली पर भी खाई गोलियाँ ।
फिर भी टस से मस हुआ न वीर फौलादी जवां ।
कर-नमन आँख-नम उस माँ को जिसने पुत्र जना।
राजनेता बात करते शहीदों का कितना मोल है ।
जो कोख सूनी हो गई उसका भी क्या कोई तोल है ।
दूर रखो है निवेदन शहादत को सियासत की दौड़ से ।
और ये सुन लो बात मीडियाकर्मियों भी गौर से ।
सैनिक जीवन ज़रा भी प्रश्नों का है विषय नहीं ।
बस नमन और नमन और नमन ही विकल्प सही ।
*कविराज तरुण*
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