Saturday, 25 March 2017

अलफ़ाज़ 1

लहजो में तौलकर अल्फाज़ो को रखिये
एक उम्र गुजरती है इज्जत कमाने में

खाली पड़े मकां में कभी नूर भी बरसे थे
एक चिंगारी ही काफी है घर को जलाने में

कहते हैं सब्र को अक्सर कड़ा इम्तेहान देना पड़ता है
कई कोस चलना पड़ता है बच्चों को चलना सिखाने मे

गर कोई करे मदद तो उसका एहतराम जरुरी है
एक जुगनू भी है काफी अँधेरे को मिटाने मे

चलो कोई ऐसा धर्म भी चलाये जहाँ इंसान मजहब हो
बड़ा मुश्किल नज़र आता है कोई रस्ता सुझाने मे

कविराज तरुण 'सक्षम'

No comments:

Post a Comment