जिंदगी एक सजा, बन गइल बा
तोहरा के देखिल ,बस ई कमी बा
जिंदगी एक सजा, बन गइल बा
तोहरा के देखिल, बस ई कमी बा
जिंदगी एक सजा ,बन गइल बा
ऐके मिटावे खातिर , तनिका तू आवा
संगे मुस्कुरावे खातिर , तनिका तू आवा
जिंदगी एक सजा, बन गइल बा
तोहरा के देखिल ,बस ई कमी बा
जिंदगी एक सजा, बन गइल बा
इहर ..हम हई अधूरा , ओहर..तू हउ अधूरी(२)
मिलन की भईल बा , सब ख्वाहिश अधूरी(२)
लावा ..कदमो मा रच्ची तू जमीं
लावा ..सावन के संगे तू नमी
तोहरे बिना ... हो
तोहरे बिना हम
जी न सकी है
आवा ..सूरज से लइके रोशिनी
आवा ..चंदा से लइके चाँदनी
लावा ..हमके तनी तू जिंदगी(२)
जिंदगी
जिंदगी
जिंदगी...हो
जिंदगी एक सजा, बन गइल बा
तोहरा के देखिल ,बस ई कमी बा
जिंदगी एक सजा, बन गइल बा
जिंदगी एक सजा ,बन गइल बा
कविराज तरुण
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