पूज्यनीय अटल जी को समर्पित शब्द श्रद्धांजलि- कविराज तरुण
ये मृत्यु तुम्हे क्या मारेगी
तुम देवलोक के प्राणी हो ।
जड़-चेतन का भेद बताते
तुम अटल भाव की वाणी हो ।।
जीवन का सारांश यही है
तुमसा कोई संत नही है ।
किया कूच धरती से माना
नया सफर है अंत नही है ।।
अजातशत्रु हो आप सदा ही
हृदय जीत कर चले धाम को ।
मन मस्तक में स्मृति विशेष में
याद रहोगे जीव आम को ।।
राजनीति की हो मर्यादा
तुम धर्मराज के स्वामी हो ।
बीते कल के दीप नही हो
तुम सूर्यताप आगामी हो ।।
गली दधीचि की अस्थि जहाँ पे
जहाँ सिंधु का पानी बहता ।
जहाँ हिमालय शीश उठा के
अटल इरादों की छवि कहता ।।
उस भारत से देह त्याग के
परमब्रह्म में लीन हो गये ।
माँ रोयी है बेटा खोके
वैभव सारे दीन हो गये ।।
तुमने तो ये कहा मृत्यु से
फिरसे तुम वापस आओगे ।
मौन दिशा से ज्योति जलाके
ये धुंध तिमिर हटवाओगे ।।
हमसब तेरे प्रेमभाव को
समावेश करते हैं मन में ।
मृत्यु तुम्हारा क्या कर लेगी
आज बसे तुम हर जीवन में ।।
*कविराज तरुण 'सक्षम'*
*9451348935*
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