Friday, 17 August 2018

अटल जी

पूज्यनीय अटल जी को समर्पित शब्द श्रद्धांजलि-  कविराज तरुण

ये मृत्यु तुम्हे क्या मारेगी
    तुम देवलोक के प्राणी हो ।
जड़-चेतन का भेद बताते
    तुम अटल भाव की वाणी हो ।।

जीवन का सारांश यही है
    तुमसा कोई संत नही है ।
किया कूच धरती से माना
    नया सफर है अंत नही है ।।

अजातशत्रु हो आप सदा ही
    हृदय जीत कर चले धाम को ।
मन मस्तक में स्मृति विशेष में
    याद रहोगे जीव आम को ।।

राजनीति की हो मर्यादा
    तुम धर्मराज के स्वामी हो ।
बीते कल के दीप नही हो
    तुम सूर्यताप आगामी हो ।।

गली दधीचि की अस्थि जहाँ पे
    जहाँ सिंधु का पानी बहता ।
जहाँ हिमालय शीश उठा के
    अटल इरादों की छवि कहता ।।

उस भारत से देह त्याग के
    परमब्रह्म में लीन हो गये ।
माँ रोयी है बेटा खोके
    वैभव सारे दीन हो गये ।।

तुमने तो ये कहा मृत्यु से
    फिरसे तुम वापस आओगे ।
मौन दिशा से ज्योति जलाके
    ये धुंध तिमिर हटवाओगे ।।

हमसब तेरे प्रेमभाव को
    समावेश करते हैं मन में ।
मृत्यु तुम्हारा क्या कर लेगी
    आज बसे तुम हर जीवन में ।।

*कविराज तरुण 'सक्षम'*
*9451348935*

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