Wednesday, 23 October 2019

ऐतबार हो जाये

तुम किसी के घर में रहो रात पार हो जाये
तो ऐसे माहौल मे क्या कुछ सवार हो जाये
और कोई बात नही बस ज़रा सी दोस्ती है
इतना अब आसान कहाँ ऐतबार हो जाये

कविराज तरुण

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