तुम किसी के घर में रहो रात पार हो जाये तो ऐसे माहौल मे क्या कुछ सवार हो जाये और कोई बात नही बस ज़रा सी दोस्ती है इतना अब आसान कहाँ ऐतबार हो जाये
कविराज तरुण
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