बिना मंजिल हमारे पाँव से टकरा रहा है
कभी जो देरतक बैठा हुआ था साथ मेरे
वो मेरे साथ चलने में बहुत घबरा रहा है
उसे हर बात से कोई तकल्लुफ हो रही है
वो आँखों से बहुत कुछ आज भी बतला रहा है
उसी के हुस्न के चर्चे सुनाई दे रहे हैं
उसी का नाम लोगों की जुबाँ पर आ रहा है
उसे ये बेवफाई खूब शोहरत दे रही है
तरुण तन्हा हुआ तो रोज गाने गा रहा है
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