Wednesday, 17 September 2025

घबरा रहा है

सफर ये क्या सफर है रोज बढ़ता जा रहा है 
बिना मंजिल हमारे पाँव से टकरा रहा है 

कभी जो देरतक बैठा हुआ था साथ मेरे 
वो मेरे साथ चलने में बहुत घबरा रहा है

उसे हर बात से कोई तकल्लुफ हो रही है 
वो आँखों से बहुत कुछ आज भी बतला रहा है

उसी के हुस्न के चर्चे सुनाई दे रहे हैं 
उसी का नाम लोगों की जुबाँ पर आ रहा है

उसे ये बेवफाई खूब शोहरत दे रही है 
तरुण तन्हा हुआ तो रोज गाने गा रहा है

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