Monday 15 December 2014

तिरंगा झलक रहा

इस ओर तिरंगा झलक रहा ।
उस ओर तिरंगा झलक रहा ।
सरहद के काँटो से देखा
सब ओर तिरंगा झलक रहा ।
तुम दिल्ली पर आँख गड़ाए हो
यहाँ लाहौर तिरंगा झलक रहा ।
सियाचीन की बर्फ पे चढ़कर देखा
घनघोर तिरंगा झलक रहा ।
तुम साजिश करके हार गये ।
आतिश बाज़ी करके हार गये ।
भारत का बाल नही उखड़ा
हर कोशिश करके हार गये ।
सावधान पड़ोसी मेरे
अब चहुओर तिरंगा झलक रहा ।
रात मे सपने देख लो कितने
पर अब भोर तिरंगा झलक रहा ।
इस्लामाबाद की धरती पर फिरसे
है शोर तिरंगा झलक रहा ।
हवा महल से बाहर सच है
कर गौर तिरंगा झलक रहा ।

कविराज तरुण

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