बड़ी अदब से आदाब करना
नज़ाकत से हर ख्वाब भरना
लफ्ज़ हििंदी के उर्दू ज़ुबानी
है शराफ़त की जिसमे निशानी
ये शहर ज़नाब तहजीबो का है
इसका हर रिवाज़ तमीजों का है
इसकी विरासत मे मोहब्बत पनहगार है
जंग-ए-आज़ादी में ये मददगार है
सहेज़ रखा है इसने कला का खज़ाना
लज़ीज़ है यहाँ की हर थाली का खाना
राजनीति ने सदा इसको दिल मे बसाया
अटल राज से लेकर यादव की माया
शुकून का आलम है उम्मीदों का असर है
हर मज़हब साथ चलते हैं ऐसा शहर है
रुपहले पर्दे ने नवाज़ी है इसकी फिदरत
इसकी मिट्टी से है हर शायरी को मोहब्बत
नवाबो की शानोशौकत उमराव की जान
लखनऊ है सभ्यता की अज़ब पहचान
कविराज तरुण
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