बचपन और जवानी (संशोधित)
सावन के झूले बारिश का पानी
पतझड़ के पत्ते, किस्से-कहानी
ओस की बूंदों पर किरणों का नाच
भारी पतंगों पर मांझे का कांच
उंगली के इशारों पर नाच रहा कंचा
गली के नुक्कड़ पर चाक़ू-तमंचा
बतरस के लट्टू में नाच रहे बच्चे
नमक से खा डाले आम कई कच्चे
नरमी पुरवाई की, ऋतुऍं सुहानी
बचपन सवालों का उत्तर जवानी
बे-परवाही में खूब जिया जीवन
आवारापन में ही मस्त रहा यौवन
चंदा की चांदनी में छत पर उजास
मिलने पर भारी है मिलने की आस
लैलाओं की गलियों मजनू के मेले
भीड़ में रहकर भी सब हैं अकेले
कौन है चंदा कौन है चकोर
समझ नहीं पाए और हो गई भोर
सुनहरे सपनों की ऊँची उड़ान
ऑंखों में हरदम नीला आसमान
लेकिन जब धरती पर नजरें झुकाईं
पर्वतों के बीच दिखी गहरी सी खाई
माँ के आँचल में दुखों का पहाड़
ऑंखों के पानी से गल रहा हाड़
वोटों के बैंक या ताशों की गड्डी
बच्चों के गालों पर उभर आई हड्डी
रिश्तों और नातों में आई खटास
ऐसे निभाते ज्यों ढोते हों लाश
कितनी घिनौनी है सच की कहानी
झूठा है बचपन और झूठी जवानी
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