भाव हों पुनीत गीत
प्रेम वायु कोश हो ।
आचमन से पहले वाला
न ही कोई दोष हो ।।
साथ में कदम बढ़े
समर्थ फिर प्रयास हो ।
दिल की तेरे तलहटी में
मेरा ही निवास हो ।।
चाहतों के पुन्य दीप
जल गये तो मौज हो ।
भाव हों पुनीत गीत
प्रेम वायु कोश हो ।।
चंद्र चाँदनी चपल
चले कहाँ ये रात मे ।
दर्प यामिनी नवल
है बादलों के साथ मे ।।
है मिलन सटीक मीत
इंद्रियों मे जोश हो ।
भाव हों पुनीत गीत
प्रेम वायु कोश हो ।।
श्याम संग राधिका
हैं बाँसुरी बजा रहीं ।
वृंद की लतायें पुष्प
गीतिका सी गा रहीं ।।
ओर छोर भीगे प्रीत
लुप्त सा ही होश हो ।
भाव हों पुनीत गीत
प्रेम वायु कोश हो ।।
नेत्र के विशाल पट
खोल के कयास लो ।
स्वप्न के परे चलो
यतार्थ प्रेम बाच लो ।
वाणी हो मधुर हृदय
न कोई गतिरोध हो ।
भाव हों पुनीत गीत
प्रेम वायु कोश हो ।।
देखा देखी और दिखावा
कुछ न काम आयेगा ।
शुद्ध है जो मन नही
तो प्यार टूट जायेगा ।
हो सत्य निष्ठ कर्म नीति
न कलश न रोष हो ।
भाव हों पुनीत गीत
प्रेम वायु कोश हो ।।
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