Thursday, 28 February 2019

देशप्रेम

देशप्रेम की अलख जगी है
गली गली चौबारे पे
भूल चुके तो याद दिला दूँ
कितनी बारी हारे थे

युद्ध कहो तो कह लो पर ये
बदला वीर जवानों का
अभी कहाँ देखा है तुमने
करतब इन विमानों का

कबर नही खुद पायेगी अब
गोलों में दग जाना होगा
इतनी बारिश होगी बम की
गम पीना बम खाना होगा

तुम्हे बड़ा ही शौक चढ़ा था
आतंकी मंसूबे थे
मानवता को आग लगाने
तुम घाटी में कूदे थे

अब घाटी की माटी से
अंगार बना हथगोला है
तेरे छदम इरादों का अब
पोल हिन्द ने खोला है

थू थू विश्व जगत मे तेरी
हर कोई गरियाता है
फिर भी ओछी हरकत से
तू बाज नही क्यों आता है

पुलवामा के जरिये तूने
मौत को दावत दे दी है
भूल गये बेटा गद्दी पर
बैठा अपना मोदी है

तुमको तो अधिकार नही है
एकपल भी अब जीने का
कहर अभी बरसेगा तुमपर
छप्पन इंची सीने के

कविराज तरुण
9451348935

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