Sunday, 22 December 2024

ज़रा ईमान रहने दो

मेरे घर में कहीं पर एक रौशनदान रहने दो 
गिरो बेशक़ मगर इतना! ज़रा ईमान रहने दो

जरूरी है कि रौनक हो भरे गुलदान हों सारे 
मगर फिरभी कोई कोना कहीं वीरान रहने दो

वो आयेंगे मचाने शोर जिनको है नही परवाह 
जिन्हें परवाह हमारी है उन्हें अंजान रहने दो

उसे तो खेलने दो खेल सारे ही खिलौनों से 
जगाओ मत अभी तो ख़्वाब में अरमान रहने दो

ये मेरी रूह है इसको कहीं पर बेच दो लेकिन
किसी का प्यार से भेजा हुआ सामान रहने दो

मेरे घर में कहीं पर एक रौशनदान रहने दो 
गिरो बेशक़ मगर इतना! ज़रा ईमान रहने दो

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