Sunday, 8 December 2024

लोग भुला नही पाते

हाल-ए-दिल जो कभी बता नही पाते
टूट जाते हैं वो मुस्कुरा नही पाते 

मै पाँव फैलाना तो छोड़ नही सकता 
भले मेरे पाँव चादर में समा नही पाते

मैं उन झरोखों से बाहर कूद जाता हूँ 
जिनसे मेरे सपनें अंदर आ नही पाते

ये तो उम्र का तकाजा है कि मै चुप हूँ 
वर्ना अच्छे-अच्छे भी चुप करा नही पाते

मुझे याद रखना आसान है बहुत 
दिक्कत ये है कि लोग भुला नही पाते

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