Saturday, 9 January 2016

ज़रा ज़रा सा इश्क़

कुछ खाली खाली सा
कुछ भरा भरा सा है ।
इस मन को इश्क़ का ये
अहसास ज़रा ज़रा सा है ।

तुम शर्मा के देखो
मै घबरा के देखूँ ।
ये लुका छिपी का खेल
लगे कुछ नया नया सा है ।

तेरी बाते मीठी मीठी सी
ये रातें फीकी फीकी सी ।
ये स्वाद मोहब्बत का
कुछ खरा खरा सा है ।

मेरा ना मे हाँ करना
तेरा हाँ में ना करना ।
मेरी आँखें खुद पढ़ ले
इसमें सब धरा धरा सा है ।

कुछ खाली खाली सा
कुछ भरा भरा सा है ।
इस मन को इश्क़ का ये
अहसास ज़रा ज़रा सा है ।

कविराज तरुण

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