Friday, 15 June 2018

गीतिका - चाहता हूँ

1222 1222 122

स्वयं को आज पाना , चाहता हूँ
कई रश्में निभाना , चाहता हूँ

कहीं खोया हुआ है , मीत मेरा
उसे वापस बुलाना , चाहता हूँ

रुका था प्रेम भीतर , आँख मे ही
गिरा आँसूँ छुपाना , चाहता हूँ

दबी बातें तनिक सा , शोर आया
जिसे कबसे बताना , चाहता हूँ

पलक बोझिल अलक है , आज गुमसुम
तड़पकर गीत गाना , चाहता हूँ

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