1222 1222 122
स्वयं को आज पाना , चाहता हूँ
कई रश्में निभाना , चाहता हूँ
कहीं खोया हुआ है , मीत मेरा
उसे वापस बुलाना , चाहता हूँ
रुका था प्रेम भीतर , आँख मे ही
गिरा आँसूँ छुपाना , चाहता हूँ
दबी बातें तनिक सा , शोर आया
जिसे कबसे बताना , चाहता हूँ
पलक बोझिल अलक है , आज गुमसुम
तड़पकर गीत गाना , चाहता हूँ
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