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मै जिसे रोज लिख के मिटाता रहा
तू वही गीत क्यों गुनगुनाता रहा
शेर दर शेर पन्नों मे खोते गये
तू खड़ा दूर से मुस्कुराता रहा
मौत है बेरहम मुझपे आती नही
जिंदगी से ये रिश्ता निभाता रहा
प्यार तबतक सलामत रहा बीच मे
चाँद ये दाग जबतक छुपाता रहा
छोड़ दे आज दामन ग़ज़ल का तरुण
दिल लगा जिससे दिल वो लगाता रहा
कविराज तरुण
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