मुहब्बत के सफर में तुम बड़े बर्बाद बैठे हो लिए माशूक की फिरसे पुरानी याद बैठे हो खुदा भी जानता है इश्क़ का अंजाम रुसवाई बताओ किस भरोसे तुम लिए फरियाद बैठे हो
कविराज तरुण
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