Tuesday, 2 July 2019

कतअ 5

बारे मे जब भी तुम्हारे सोचता हूँ
फूल कलियों के नजारे सोचता हूँ

नींद का क्या है ये आये या न आये
जागकर ही ख़्वाब सारे सोचता हूँ

कविराज तरुण

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