क्यों शहरों में झूठे बादल आये हैं
जाने कैसे कैसे पागल आये हैं
हमने तो बस हाथ लगाया था उनको
जाने कैसे इतने घायल आये हैं
हर पल जिनके साथ रही थी मक्कारी
लेकर आँखों मे गंगाजल आये हैं
मै किस मतलब से अब उनको प्यार करूँ
वो अपने मतलब से केवल आये हैं
खेल सियासतदारों का है बस कुर्सी
रैली में कुछ टूटी चप्पल आये हैं
कविराज तरुण
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