और क्या बाकी बचा तेरे हिसाब मे अल्फ़ाज़ दफ्न हो रहे मेरी किताब मे इश्क़ का तोहफा समझ अबतक बचाया जो बू बगावत की बची अब उस गुलाब मे
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