संवेदना -----
संवेदना की वेदना में फिर प्यार खोजने चला
उसके चौखट से लौटती बहार खोजने चला
मिला न दिल को शुकून तेरी इबादत में
पर फिर भी तेरी यादों में अपनी हार खोजने चला
संवेदना की वेदना में फिर प्यार खोजने चला ||
अंतःकरण में विराजित एक पराजित मै ही था
स्वयं अपनी आत्मा से एक विभाजित मै ही था
विभक्त टुकरो में छुपी ख़ुशी का उदगार खोजने चला
तेरे हँसते चेहरे का मै लुप्त आगार खोजने चला
संवेदना की वेदना में फिर प्यार खोजने चला ||
--- कविराज तरुण
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