Saturday, 16 July 2016

दायित्व

रचना 01
दायित्व
🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸

दायित्व का निर्वाह जरुरी है
जरुरी है कर्म का बोध ।
मन कुण्ठित हो जाता है अक्सर
जब आता अहम् व लोभ ।
चाहे जीवन ब्रह्मचर्य हो गृहस्थ हो
या हो सन्यास ।
चाहे राह कठिन हो सख्त हो
या हो बिंदास ।
अनुशासन के बिन संभव कुछ नहीं
बस इतना कर पाया शोध ।
दायित्व का निर्वाह जरुरी है
जरुरी है कर्म का बोध ।

🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸

✍🏻क. तरुण

No comments:

Post a Comment