Sunday, 1 January 2017

सुनहरे पल

शीर्षक - सुनहरे पल

मधुर मन की मधुर हलचल
सुनहरे पल
कभी बारिश कभी बादल
सुनहरे पल
थकते नही जब पाँव चल चल कर
सुनहरे पल
हो प्यार के अविरल भाव निश्छल
सुनहरे पल

तबियत बोलती है
खोलती है नयनो के विराम
होंठो की सहज प्याली
घोलती है कुसुमरस के विधान
गालों पर खिली लाली
आतुर मन के देती है प्रमाण
हर एक कृत्य मे खुशहाली
भरे पावन छलकते हैं निशान

नजर आता अनोखा क्षितिज व तल
सुनहरे पल
सीमित दायरे को मिलता असीमित बल
सुनहरे पल
मानव के जीवन का है संबल
सुनहरे पल
मधुर मन की मधुर हलचल
सुनहरे पल

कविराज तरुण सक्षम
9451348935

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