Saturday, 7 January 2017

ग़ज़ल सजा लीजियेगा

ग़ज़ल
रदीफ़ - लीजियेगा
काफिया- आ
बहर 122 122 122 122

अगर रूठ जाऊँ मना लीजियेगा ।
सबक प्यार का ये बना लीजियेगा ।।

झलकती अगर हो हया की पियाली ।
निगाहों से' अपने हटा लीजियेगा ।।

मुझे प्यार की बात सरगम की' चाहत ।
मुताबिक जहन के गुनगुना लीजियेगा ।।

सनम तुम दुआ हो दवा भी तो' तुम हो ।
पनाहों मे' भरकर सजा लीजियेगा ।।

गवारा नही पास आकर के' जाना ।
मुझे आज अपना बना लीजियेगा ।।

*कविराज तरुण सक्षम*

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