ग़ज़ल
रदीफ़ - लीजियेगा
काफिया- आ
बहर 122 122 122 122
अगर रूठ जाऊँ मना लीजियेगा ।
सबक प्यार का ये बना लीजियेगा ।।
झलकती अगर हो हया की पियाली ।
निगाहों से' अपने हटा लीजियेगा ।।
मुझे प्यार की बात सरगम की' चाहत ।
मुताबिक जहन के गुनगुना लीजियेगा ।।
सनम तुम दुआ हो दवा भी तो' तुम हो ।
पनाहों मे' भरकर सजा लीजियेगा ।।
गवारा नही पास आकर के' जाना ।
मुझे आज अपना बना लीजियेगा ।।
*कविराज तरुण सक्षम*
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