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मान सम्मान कर गान गुणगान कर ।
चल रहा है हवन संगमी द्वार पर ।।
जो कलमवीर है वो यहाँ मीर है ।
सूर तुलसी कबीरा हुआ आज घर ।।
चिन्तनों के शिविर काव्य की साधना ।
इक नई रोशिनी मे नहाता शहर ।।
आइये आप भी बैठिये आप भी ।
गीतमाला पहन कर तनिक जा सँवर ।।
दौर इंदौर का इस मई माह मे ।
आपकी राह देखे समूचा नगर ।।
कविराज तरुण
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