Friday, 3 August 2018

चौपाई गीत - उमड़ घुमड़ जब सावन आया

चौपाई

उमड़ घुमड़ जब सावन आया ।
यादों    ने     बहुतै  तड़पाया ।।

अँखियाँ टपक टपक के बरसी ।
दरस  तुम्हारी  को  ये   तरसी ।।
झूले    हमको    लगे    बुलाने ।
कोयल  गीत   लगी  है   गाने ।।

काहें    तुमने    हमे    भुलाया ।
उमड़ घुमड़ जब सावन आया ।।

कामदेव  भी  डालें  डोरे ।
फूल गिरे आँगन में मोरे ।।
पवन सुहानी खूब सताये ।
विरह वेग में अंग जलाये ।।

ऐसे   में   ये    दिल    घबराया ।
उमड़ घुमड़ जब सावन आया ।।

हमसे खींज रहीं हैं सखियाँ ।
चुप्पे चुप अब बीते रतियाँ ।।
आकर अब तो गले लगाओ ।
सावन  में  यूँ मत तरसाओ ।।

मिलने  को  ये  मन  ललचाया ।
उमड़ घुमड़ जब सावन आया ।।

कविराज तरुण

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