मै मधुबन के गीतों का अधिकार तुम्हे देने आया
जो भी मुझमे संचित है वो प्यार तुम्हे देने आया
अंतस के अभ्यास जगत में चित्रों की अलमारी है
सपनों ने कोशिश तो की पर तू सपनों पर भारी है
मधुर मधुर अनुभूति हृदय में मंद मंद मुस्कान खिली
निद्रा में वशीभूत नयन के दर्पण को पहचान मिली
स्वप्नलोक का अपना ये संसार तुम्हे देने आया
जो भी मुझमे संचित है वो प्यार तुम्हे देने आया
संरक्षित है बातें तेरी हिय के कोने कोने तक
आरक्षित स्थान प्रिये धड़कन के खंडित होने तक
तू उपवन का अंचल तेरी पुष्प सरीखी काया है
मुझमे अंकित भाव विटप की तू आह्लादित छाया है
मै शब्दों के पुष्पों का भंडार तुम्हे देने आया
जो भी मुझमे संचित है वो प्यार तुम्हे देने आया
प्रणय प्रेम की बेला में अनुरोध यही तुमसे प्रियवर
वैदेही का रूप धरो तुम और बनूँ मै भी रघुबर
साथ चलूँ जन्मों जन्मों तक नेह सूत्र के बंधन में
रिक्त रहे अवशेष नही कुछ भर दो मधुरस जीवन में
अपने प्रीत की प्रतिमा को विस्तार यहाँ देने आया
जो भी मुझमे संचित है वो प्यार तुम्हे देने आया
मै मधुबन के गीतों का अधिकार तुम्हे देने आया
जो भी मुझमे संचित है वो प्यार तुम्हे देने आया
कविराज तरुण
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