Thursday, 6 December 2018

ग़ज़ल - कर गए

जोश भरकर इन रगो में खून ताजा कर गये
जिंदगी अपनी लुटाकर हमसे वादा कर गये

मौत बोलो क्या करेगी सोच मर सकती नही
लौटकर आऊँगा फिर से ये इरादा कर गये

लाल वो माँ भारती के वीरता की ज्योति थे
इस अँधेरे कुंड में भी वो उजाला कर गये

देश को जो तोड़ने की बात करता है सुनो
प्राण के बलिदान से वो जोड़ सारा कर गये

उन शहीदों को नमन जो जान देते हैं तरुण
कर्म से जो माँ का आँचल ही सितारा कर गये

कविराज तरुण

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