प्रिय वियोग गीत
प्रिय तुम नयनो में बस जाओ ,
ये अश्क बहुत सताते हैं ।
ये निश दिन बरसा करते हैं ,
व्यर्थ निकल ही आते हैं ।
प्रिय तुम नयनो में बस जाओ ,
ये अश्क बहुत सताते हैं ।।
विरह वेदना क्षणिक नही ,
जीवन भर साथ निभाते हैं ।
विछोभ तुम्हारा सह सह कर ,
नित आँखों से अश्रु लुटाते हैं ।
प्रिय तुम नयनो में बस जाओ ,
ये अश्क बहुत सताते हैं ।।
वो दिन बचपन के अब भी ,
प्रतिबिम्ब से मन मे छाते हैं ।
और आँखों से बाहर आने को ,
पलकों मे होड़ मचाते हैं ।
प्रिय तुम नयनो में बस जाओ ,
ये अश्क बहुत सताते हैं ।।
हमसे दूर गए तुम जबसे ,
ना हम हँसते हैं ना मुस्काते हैं ।
तुमसे बिछुड़कर सच कह दूँ ,
हम एक पल भी ना रह पाते हैं ।
प्रिय तुम नयनो में बस जाओ ,
ये अश्क बहुत सताते हैं ।।
सावन के झूले बिन तेरे ,
हमको नही लुभाते हैं ।
बारिश क्या बादल करते हैं ,
इन आँसू से ये डर जाते हैं ।
प्रिय तुम नयनो में बस जाओ ,
ये अश्क बहुत सताते हैं ।।
हम पिस पिस कर ये रिस रिस कर ,
अंगो को मेरे भिगाते हैं ।
हवा के झोंके फूलों के रंग ,
हमें मन ही मन तड़पाते हैं ।
प्रिय तुम नयनो में बस जाओ ,
ये अश्क बहुत सताते हैं ।।
याद तेरी धड़कन पर भारी ,
हम अक्सर रोये जाते हैं ।
विरह के दिन ये कब गुजरेंगे ,
ये नैना तुम्हे बुलाते हैं ।
प्रिय तुम नयनो में बस जाओ ,
ये अश्क बहुत सताते हैं ।।
--- कविराज तरुण
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