1222 X 4
आरा
मिल गया होता
जो' मुझको प्यार का कोई इशारा मिल गया होता ।
नदी भी मिल गई होती किनारा मिल गया होता ।।
बड़ी बेचैन सी ये जिंदगी है आज राहों मे ।
कमी तेरी जो भर पाती गुजारा मिल गया होता ।।
मुझे बदनाम करने की वक़ालत कर रहे वो ही ।
जिसे शीशे मे' खुद अपना नज़ारा मिल गया होता ।।
हसीं हैं चाँद तारे ये हसीं है रात ख़्वाबो की ।
जो' आते पास लम्हा भी गवारा मिल गया होता ।।
करी हैं कोशिशें खुद से , यकीं तुमको नही होगा ।
'तरुण' को गर समझ लेते , दुबारा मिल गया होता ।।
कविराज तरुण 'सक्षम'
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