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ग़ज़ल - प्राण हिंदुस्तान हो
जब हथेली पर सजाकर मौत ही महमान हो ।
तो अमर है जान उसका प्राण हिंदुस्तान हो ।।
चैन में वो हद नहीं सरहद चले जब गोलियां ।
ख़ाक दुश्मन को करे ऐसा ही' मन में भान हो ।।
मौत से कहना तकल्लुफ छोड़ दे मै वो नही ।
सामने हथियार डाले जो नसल बेमान हो ।।
बुज़दिली आती नही बेबाकियां जाती नही ।
रूह अस्मत खून नस नस देश पर कुर्बान हो ।।
हिंद हूँ मै भारती सुत गंग सतलज धार हूँ ।
तोड़ बंधन चल पड़े गर सामने व्यवधान हो ।।
कविराज तरुण सक्षम
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