Tuesday, 19 December 2017

बालाजी

ओ मेरे बालाजी मुझको आपकी दरकार है ।
तूही मालिक रूह का तूही असल सरकार है ।।
ओ मेरे बालाजी मुझको
ओ मेरे बालाजी मुझको
आपकी दरकार है ।
तूही मालिक रूह का तूही असल सरकार है ।।

रश्म-ए-उल्फ़त को निभाते जिस्म पत्थर हो गया ।
जो मिले तेरी कृपा हर ज़ख्म फिर स्वीकार है ।।
ओ मेरे बालाजी मुझको आपकी दरकार है ।
हाँ आपकी दरकार है
जी आपकी दरकार है
तूही मालिक रूह का तूही असल सरकार है ।।

बालाजी ओ मेरे बालाजी (2)
बालाजी बालाजी बालाजी
बालाजी बालाजी बालाजी

बालाजी मेरे मन के द्वारे आला जी
बालाजी बालाजी बालाजी
मेरी खुशियों का बस इक तू निवाला जी
बालाजी बालाजी बालाजी
बालाजी मेरे मन के द्वारे आला जी
बालाजी बालाजी बालाजी
मेरी खुशियों का बस इक तू निवाला जी
बालाजी बालाजी बालाजी

ऊँची कोठी बनाई मेरे किस काम की
कागज़ों की कमाई मेरे किस काम की

ऊँची कोठी बनाई मेरे किस काम की
कागज़ों की कमाई मेरे किस काम की

बालाजी बालाजी बालाजी

मैंने खोटे किये हैं सारे दिनरात भी
कितनी चोटे लगी हैं और आघात भी

बालाजी बालाजी बालाजी

बस तेरा सहारा खोजता फिर रहा
तूने जितना चलाया मै बस उतना चला
चल रहा बालाजी
चल रहा बालाजी
बालाजी बालाजी बालाजी

बालाजी मेरे मन के द्वारे आला जी
बालाजी बालाजी बालाजी
मेरी खुशियों का बस इक तू निवाला जी
बालाजी बालाजी बालाजी

तेरे कदमो में झुकाकर शीश अब मै गा रहा ।
है तरुण अखिलेश चोटिल तू रहम संसार है ।।

ओ मेरे बालाजी मुझको आपकी दरकार है ।
तूही मालिक रूह का तूही असल सरकार है ।।
ओ मेरे बालाजी मुझको
ओ मेरे बालाजी मुझको
आपकी दरकार है ।
तूही मालिक रूह का तूही असल सरकार है ।।

तूही असल सरकार है ।
मुझे आपकी दरकार है ।।

बालाजी ओ मेरे बालाजी (2)
बालाजी बालाजी बालाजी
बालाजी बालाजी बालाजी

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