Saturday 23 December 2017

मेरे बालाजी महाराजे

मेरे बालाजी महाराजे

महाकाय तुम परमवीर हे पवनपुत्र अविनाशी
परविद्या परिहार करो तुम जामवंत वनवासी

कपिसेना-नायक , रामदूत तुम , वज्रकाय बलशाली
हुई स्वर्ण नगर की ईंटे तेरे क्रोधरूप से काली

दैत्य विघातक मुद्रप्रदायक अंजनि के मारुति लाला
आगे तेरे कौन टिका प्रभु तू जग का रखवाला

सालासर से घूम बनारस पंचमुखी तुम स्वामी
मेहंदीपुर और चित्रकूट संकटमोचन की निशानी

हनुमानगढ़ी में सीढ़ी चढ़कर दर्शन पाया तेरा
बेट द्वारका दंडी मंदिर में तेरा ही बसेरा

यंत्रोद्धारक बालचंद्र हे महावीर अति भोले
गिरजाबंध में रूप माधुरी मन को मेरे मोहे

रुद्र रूप मे शिव अवतारी बालाजी महाराजे
नाम से तेरे भूत प्रेत भी थरथर करके कांपे

मै शीश नंवाकर करता वंदन भिक्षा दे दो न
यही सत्य हे अमरदेव तू जग का हर कोना

तू जग का हर कोना
मेरे बालाजी ... महाराजे
मेरे बालाजी ... महाराजे

कविराज तरुण

No comments:

Post a Comment