Sunday, 18 February 2018

ग़ज़ल 86 कहानी कहानी है बिखरी हुई

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ख़्वाब आये सनम और हवा हो गये , बस कहानी कहानी है बिखरी हुई ।
हाथ उनका सम्हाला किसी और ने , ये जवानी जवानी है बिखरी हुई ।।

साथ दे दो मेरा यूँ न जाओ सनम , साहिलों की रवानी है बिखरी हुई ।
फूल रुसवा हुये बाग़ भी जल गये , अब मेरी बागबानी है बिखरी हुई ।।

बारिशों में करीं बात गुम हो गई , पत्थरों पे मुलाकात गुम हो गई ।
जो खुरच के बनाये थे हमने निशां , वो निशानी निशानी है बिखरी हुई ।।

तुम तो कहते थे होगे जुदा अब नही , पास मे ही रहोगे उमर भर यहीं ।
छोड़ कर चल दिये बीच ही राह मे , सारी बातें पुरानी है बिखरी हुई ।।

चाँद पर था बिठाया तुझे प्यार मे , और कुछ भी नही मेरे संसार मे ।
आज ओझल सितारा तरुण हो गया , चांदिनी ये दिवानी है बिखरी हुई ।।

कविराज तरुण 'सक्षम'

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