गाना तेरी चाल (चाल तुरु तुरु की तर्ज पर)
तेरी चाल मध्धम मध्धम
खुलते बालों के बंधन
लट गालों पर आ बिखरी
करे घास में किलोलें
अहि कानन में डोले
नभ सूरज की हुई रोशिनी (2)
न कोय तुमसा है हसीं
झलक मिलेगी क्या कहीं
बोले तो दिल को हो ख़ुशी
घोलो लबों से रस यहीं
मीठी बोली सी भाषा
कुछ और नहीं भाता
सुनके कानो में स्वर रागिनी
करे घास में किलोलें
अहि कानन में डोले
नभ सूरज की हुई रोशिनी
सोचे जो मुझसे बोले न
लबों की डिबरी खोले न
नज़रें ज़रा भी फेरे न
शर्मो हया को तोड़े न
हो ऐसे काम न चलेगा
कुछ तो कहना पड़ेगा
अजी छोड़ो भी ये दिल्लगी
करे घास में किलोलें
अहि कानन में डोले
नभ सूरज की हुई रोशिनी
तेरी चाल मध्धम मध्धम
खुलते बालों के बंधन
लट गालों पर आ बिखरी
करे घास में किलोलें
अहि कानन में डोले
नभ सूरज की हुई रोशिनी
कविराज तरुण सक्षम
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