ग़ज़ल - खबरदार चीन
बहर - २२१२ २२१२ २२१२ २२१२
बहर - २२१२ २२१२ २२१२ २२१२
जहनो जिगर की आग से वाक़िफ़ नही असरार तू ।
माफ़ी मुहब्बत प्यार के बिलकुल नही हकदार तू ।।
माफ़ी मुहब्बत प्यार के बिलकुल नही हकदार तू ।।
चीनी पता क्या घोलते हैं हम यहाँ पर चाय मे ।
दो चुस्कियों में हो हज़म बेशक यही किरदार तू ।।
दो चुस्कियों में हो हज़म बेशक यही किरदार तू ।।
क्यों बात बेमतलब करे ऐसी अकड़ किस काम की ।
हम तोड़ते हर सोच वो जिसका असल आधार तू ।।
हम तोड़ते हर सोच वो जिसका असल आधार तू ।।
चल छोड़ पीछे जो हुआ भाई बनाकर साथ मे ।
खंजर चुभा कर पीठ मे जीता मगर है हार तू ।।
खंजर चुभा कर पीठ मे जीता मगर है हार तू ।।
मुमकिन नही है अब तिरा यूँ सामना करना मिरा ।
कहना तरुण का मान लो वर्ना ख़तम इसबार तू ।।
कहना तरुण का मान लो वर्ना ख़तम इसबार तू ।।
कविराज तरुण 'सक्षम'
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