ग़ज़ल - हसीं हादसा
२१२२ २१२२ २१२
"रंग सब मुझमे फ़ना सा हो गया ।
जब हसीं ये हादसा सा हो गया ।।
इश्क़ की आदत मुझे जबसे हुई ।
मै जुदा सा वो खुदा सा हो गया ।।
आँख झुकती अब नही दरपेश मे ।
शाम में शामिल शमा सा हो गया ।।
अब न पूछो हाल क्या अब हाल है ।
ख़्वाब में मिलना अदा सा हो गया ।।
लाज़िमी था बर्फ का गिरना तरुण ।
गर्म साँसों का धुआँ सा हो गया ।।
-कविराज तरुण✍
साहित्य संगम संस्थान
२१२२ २१२२ २१२
"रंग सब मुझमे फ़ना सा हो गया ।
जब हसीं ये हादसा सा हो गया ।।
इश्क़ की आदत मुझे जबसे हुई ।
मै जुदा सा वो खुदा सा हो गया ।।
आँख झुकती अब नही दरपेश मे ।
शाम में शामिल शमा सा हो गया ।।
अब न पूछो हाल क्या अब हाल है ।
ख़्वाब में मिलना अदा सा हो गया ।।
लाज़िमी था बर्फ का गिरना तरुण ।
गर्म साँसों का धुआँ सा हो गया ।।
-कविराज तरुण✍
साहित्य संगम संस्थान
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