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आपने तो हृदय मे बसाया नही ।
प्रेम की शर्त को भी निभाया नही ।।
पर मेरा प्यार तुमसे बना ही रहा ।
कोय भी और मुझको तो भाया नही ।।
देख कर रूप तेरा समंदर कहे ।
चाँद ने रूप ऐसा भी पाया नही ।।
प्रीत के राग छेड़ो कभी तो प्रिये ।
प्यार है शक्ति ये मोह माया नही ।।
तुम लुटाकर के देखो खजाना ज़रा ।
प्रेम की राह मे कुछ भी जाया नही ।।
कविराज तरुण
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