Wednesday, 16 May 2018

गीतिका - बसाया नही

२१२ २१२ २१२ २१२

आपने तो हृदय मे बसाया नही ।
प्रेम की शर्त को भी निभाया नही ।।

पर मेरा प्यार तुमसे बना ही रहा ।
कोय भी और मुझको तो भाया नही ।।

देख कर रूप तेरा समंदर कहे ।
चाँद ने रूप ऐसा भी पाया नही ।।

प्रीत के राग छेड़ो कभी तो प्रिये ।
प्यार है शक्ति ये मोह माया नही ।।

तुम लुटाकर के देखो खजाना ज़रा ।
प्रेम की राह मे कुछ भी जाया नही ।।

कविराज तरुण

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