*अभ्युदय काव्यमाला*
जलतरंग का कलकल करता स्वर
नीले दर्पण में लालिमा का प्रादुर्भाव
जिसमे स्वर्ण सा चमकता सूर्य का रूप
और आशा की किरण का असीम प्रभाव
खगस्वरों से गूंजित संपूर्ण वायुमंडल
पानी में पुष्प का बिखरता स्वभाव
जिसमे तरु-पल्लव का निःस्वार्थ समर्पण
जैसे तैरती है नदी में बहकी हुई नाँव
इन्ही संवेदनाओं की अतुलित भाव भंगिमा
जब कागज़ पर उतरकर उदघोष करती है
तब उदित होता है एक नवीन प्रकाश
कलम नए जोश में तब प्राण भरती है
इन्ही भावों का प्रमाण है अभ्युदय काव्यमाला
इन्ही विचारों का प्राण है अभ्युदय काव्यमाला
कविराज तरुण 'सक्षम'
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