Monday, 27 June 2016

जन्नत की तस्वीर

रचना
जन्नत की तस्वीर
💜🌸❤🌸💚🌸💛🌸❤
उसकी आँखों में जन्नत की तस्वीर देख ली
बंद हथेली में छुपी अपनी तकदीर देख ली

वो बोलती रही ... इश्क़ मुनासिब नही
इसतरह छुप के मिलना भी ... वाजिब नही
छोड़ कर वो गई ... अब मिलेंगे नही
गुल मोहब्बत के यक़ीनन ... खिलेंगे नही

पर जाते जाते उसके लफ़्ज़ों में पीर देख ली
उसके चेहरे पर उदासी की लकीर देख ली

उसकी आँखों में जन्नत की तस्वीर देख ली
बंद हथेली में छुपी अपनी तकदीर देख ली

✍🏻कविराज तरुण

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