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वफ़ा छूटी ये' दिल रूठा ।
सनम तुमने बहुत लूटा ।।
करी कोशिश सदा मैंने ।
मिला बस दर्द मन टूटा ।।
बढ़े बेशक कदम तेरे ।
मगर मेरा ही' दर छूटा ।।
खुदा नाराज़ था मुझसे ।
मिला जो सच वही झूठा ।।
तरुण लो सीख अब इससे ।
गुबारा प्यार का फूटा ।।
कविराज तरुण 'सक्षम'
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