Monday, 2 October 2017

ग़ज़ल 43 दिल टूटा

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वफ़ा छूटी ये' दिल रूठा ।
सनम तुमने बहुत लूटा ।।

करी कोशिश सदा मैंने ।
मिला बस दर्द मन टूटा ।।

बढ़े बेशक कदम तेरे ।
मगर मेरा ही' दर छूटा ।।

खुदा नाराज़ था मुझसे ।
मिला जो सच वही झूठा ।।

तरुण लो सीख अब इससे ।
गुबारा प्यार का फूटा ।।

कविराज तरुण 'सक्षम'

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