Monday, 2 October 2017

ग़ज़ल 44 असर देखो

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हुआ दिल पर असर देखो ।
मिला तुमको ये' घर देखो ।।

कहाँ जाओ ख़फ़ा हो के ।
बिछी मेरी नज़र देखो ।।

कमल क्यों खिल उठा है ये ।
गुलाबों के अधर देखो ।।

अगर मुमकिन जवानी में ।
निकल मेरा शहर देखो ।।

जुबां से आदमी हूँ मै ।
खुदा अंदर ठहर देखो ।।

मुहब्बत की इनायत है ।
तरुण देखो ब-हर देखो ।।

कविराज तरुण 'सक्षम'

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