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मै जब तुमसे मिलूँगा ।
लिपटकर रो ही' दूँगा ।।
मुहब्बत बेजुबां है ।
निगाहों से कहूँगा ।।
*मै' जब तुमसे मिलूँगा ...*
हसीं सपना संजोया ।
तिरे दिल में रहूँगा ।।
सफ़र में थाम बाहें ।
सितारों तक चलूँगा ।।
*मै' जब तुमसे मिलूँगा ...*
तू' जादू हुस्न का है ।
हया इसमें भरूँगा ।।
सजाकर मांग तेरी ।
तिरा शौहर बनूँगा ।।
*मै' जब तुमसे मिलूँगा ...*
ख़लिश हो या खता हो ।
तबस्सुम सा दिखूँगा ।।
तरुण की तू खुदाई ।
तिरा सजदा करूँगा ।।
*मै' जब तुमसे मिलूँगा ...*
*कविराज तरुण 'सक्षम'*
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