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भगत ये चरण में कदा चाहता है ।
नही और कोई दुआ चाहता है ।।
दुखों की दुपहरी विदा चाहता है ।
किरण में घुली हर अदा चाहता है ।।
कपूरी कहानी नही ज्यादा' दिन की ।
बिखरने से' पहले हवा चाहता है ।।
घने हैं अँधेरे बड़ी मुश्किलें हैं ।
उजाला हो' इतनी दया चाहता है ।।
किधर पुन्य छूटा किधर पाप आया ।
मगर साथ तेरा सदा चाहता है ।।
माँ' अम्बे भवानी कहूँ क्या कहानी ।
'तरुण' खूबसूरत फ़िजा चाहता है ।।
कविराज तरुण 'सक्षम'
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