Monday 2 October 2017

ग़ज़ल 49 भगत

122 122 122 122

भगत ये चरण में कदा चाहता है ।
नही और कोई दुआ चाहता है ।।

दुखों की दुपहरी विदा चाहता है ।
किरण में घुली हर अदा चाहता है ।।

कपूरी कहानी नही ज्यादा' दिन की ।
बिखरने से' पहले हवा चाहता है ।।

घने हैं अँधेरे बड़ी मुश्किलें हैं ।
उजाला हो' इतनी दया चाहता है ।।

किधर पुन्य छूटा किधर पाप आया ।
मगर साथ तेरा सदा चाहता है ।।

माँ' अम्बे भवानी कहूँ क्या कहानी ।
'तरुण' खूबसूरत फ़िजा चाहता है ।।

कविराज तरुण 'सक्षम'

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