Wednesday, 4 October 2017

ग़ज़ल 52 प्यार की है

1222 1222 122

अभी दिल मे रवानी प्यार की है ।
अभी बाकी कहानी प्यार की है ।।

चिरागों से कहो जल जाये' अब वो ।
कई हसरत पुरानी प्यार की है ।।

कि गहरी हो चली है चोट दिल की ।
ज़रा देखो निशानी प्यार की है ।।

रवां हैं हुस्न की बारीकियां भी ।
जवां अबतक जवानी प्यार की है ।।

समझ मोती तरुण जो आँख नम है ।
यही अपनी ज़ुबानी प्यार की है ।।

कविराज तरुण 'सक्षम'

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