बस्तों किताबों के बोझ तले
रो गया बचपन
इस टू बीएचके फ्लैट में कहीं
खो गया बचपन
सिर पर हाथ माँ फिराये भी कैसे
टच स्क्रीन वाला फोन
हो गया बचपन
जिसपर एक अलग पैटर्न लॉक लगा है
क्या क्या है अंदर अब किसको पता है
चाँद तारों से जगमग आसमां के परे
टू जी थ्री जी की दुनिया मे
सो गया बचपन
हम डाँट खाया करते थे बाहर जाने पर
अब डाँटा करते हैं प्लेस्टेशन लगाने पर
खो-खो कबड्डी गेन्दताड़ी कहाँ अब
सात इंच के गोरिल्ला ग्लास के पीछे
लूडो शतरंज जाने क्या क्या
बो गया बचपन
कविराज तरुण 'सक्षम'
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