Tuesday, 26 September 2017

चौपाई - पुकारूँ रे

चौपाई - पुकारूँ रे

मन का अंतर अंतर तेरा ।
छाया मुझपर माँ का घेरा ।।

हो मै आसक्त निहारूँ मै।
माँ तुझको आज पुकारूँ मै।।

माँ तुझको आज पुकारूँ मै ।।

हूँ दीन हीन माँ दुखियारा ।
तेरा बालक तेरा प्यारा ।।

छल दोष कपट सब काम किये ।
पापों के सन्मुख शाम किये ।।

कैसे अब भूल सुधारूँ मै ।
माँ तुझको आज पुकारूँ मै ।।

माँ तुझको आज पुकारूँ मै ।।

अब निश्छल है कोना कोना ।
माँ तुम हो क्या रोना धोना ।।

अवगुण मेरे नाश करोगे ।
सद्गुण से आकाश रोगे ।।

मै शरण तुहारी आया हूँ ।
माँ तुमको शीश नवाया हूँ ।।

निज अंचल आज पखारूँ रे ।
माँ तुझको आज पुकारूँ रे ।।

माँ तुझको आज पुकारूँ रे ।।

कविराज तरुण 'सक्षम'

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