चौपाई - पुकारूँ रे
मन का अंतर अंतर तेरा ।
छाया मुझपर माँ का घेरा ।।
हो मै आसक्त निहारूँ मै।
माँ तुझको आज पुकारूँ मै।।
माँ तुझको आज पुकारूँ मै ।।
हूँ दीन हीन माँ दुखियारा ।
तेरा बालक तेरा प्यारा ।।
छल दोष कपट सब काम किये ।
पापों के सन्मुख शाम किये ।।
कैसे अब भूल सुधारूँ मै ।
माँ तुझको आज पुकारूँ मै ।।
माँ तुझको आज पुकारूँ मै ।।
अब निश्छल है कोना कोना ।
माँ तुम हो क्या रोना धोना ।।
अवगुण मेरे नाश करोगे ।
सद्गुण से आकाश भरोगे ।।
मै शरण तुहारी आया हूँ ।
माँ तुमको शीश नवाया हूँ ।।
निज अंचल आज पखारूँ रे ।
माँ तुझको आज पुकारूँ रे ।।
माँ तुझको आज पुकारूँ रे ।।
कविराज तरुण 'सक्षम'
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